सावन शिवरात्रि पर अलौकिक कलानौर शिव मंदिर का इतहास हर साल बढ़ता है शिवलिंग।

ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान शंकर के तीन प्रमुख अस्थान कैलाश, काशी और कलानौर शिव मंदिर

सावन शिवरात्रि पर अलौकिक कलानौर शिव मंदिर का इतहास  हर साल बढ़ता है शिवलिंग।
History of Shiv Mandir Kalanaur
mart daar

आज सावन शिवरात्रि का पर्व है। सावन माह में भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। इस साल सावन माह की शिवरात्रि 26 जुलाई 2022 दिन, मंगलवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में श्रावण मास की महिमा का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन्हें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। 


भारत के राज्य पंजाब और जिला गुरदासपुर का ऐतिहासिक कस्बा कलानौर, जहां मुगल सम्राट अकबर का ताजपोशी तख्त, बाबा बंदा सिहं बहादुर का चरनछोह प्राप्त अस्थान, बावा लाल जी के तप अस्थान के अलावा भगवान शिव शंकर का भी पवित्र अस्थान है। जिनकी महिमा पूरे संसार में होती है, जिस कारण प्राचीन सभ्यता का गवाह है कलानौर। कलानौर पाकिस्तान सीमा गुरदासपुर डेरा बाबा नानक मार्ग पर गुरदासपुर से पश्चिमी दिशा में करीब 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
शिव मंदिर कमेटी के अनुसार यहां 1388 ई. में इस मंदिर को महाकालेश्वर भी कहा जाता था।
भारत में स्थित ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान शंकर के तीन प्रमुख अस्थान कैलाश, काशी और कलानौर शिव मंदिर है। कहा जाता है कि जहां मंदिर बना हुआ है, वहां मुगल सम्राट जलालुद्दीन अकबर की ताजपोशी हुई थी। इस स्थान पर उस समय सुनसान जगह पर अकबर की फौजों ने डेरा लगाया हुआ था और घोड़े भी इस जगह पर बंधे हुए थे। एक दिन तबेलदार घोड़ों को इस रास्ते से घोड़शाल को जा रहे थे और इस अस्थान के नजदीक से जो भी घोड़ा गुजरता था, तो वह लंगड़ा हो जाता था। इसकी सूचना अकबर को दी गई। इस उपरांत जब अकबर इस जगह का मुआयना करने के लिए आया तो उसने तबेलदार को घोड़ों से मारपीट न करने की बात कही, जिस कारण घोड़े लंगड़े हो रहे हैं। इस दौरान जब अकबर अपने घोड़े के साथ इस अस्थान से गुजरा तो उसका घोड़ा भी लंगड़ा हो गया। तभी अकबर ने हुकम दिया कि इस अस्थान की खुदाई की जाए।

खुदाई करते समय जमीन में से एक काला पत्थर निकला, जिसे हटाने के हुकम दिए गए, लेकिन सिपाहियों से वह पत्थर हटाया नहीं गया। इस पत्थर पर कुदाल से कई वार किए गए, जिस कारण पत्थर से खून बहता रहा। जब राजा के सिपाही खुदाई करने से बाज न आए तो उस जगह से भविष्यवाणी हुई कि अकबर मैं तो खुद भगवान शंकर हूं, कुछ प्राप्त करना है तो तू तुरंत खुदाई बंद करवाकर यहां एक मंदिर का निर्माण करवा दे। अकबर ने तुरंत खुदाई बंद करवाकर उस स्थान की चारदीवारी करवाकर वहां पर एक कमरा रूपी मंदिर बनवा दिया। पहले अकबर व फिर फिर महाराजा रणजीत सिंह के बेटे खड़क सिंह ने बनवाया था मंदिर

आज इस मंदिर की इतनी महानता है कि यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।